सार
मंगलवार को कलक्ट्रेट में छह घंटे विरोध-प्रदर्शन हुआ था। बुधवार को डीएम से मुलाकात व लिखित समाधान कराने का एडीएम ने आश्वासन दिया था। बुधवार 11:30 बजे क्षेत्रीय कमेटी के दस लोग डीएम से मिलने कलक्ट्रेट पहुंचे।
आगरा: नाला निर्माण न होने पर प्रदर्शन करते स्थानीय नागरिक
– फोटो : अमर उजाला
सरकारी सिस्टम की लापरवाही से धनौली में नाला वहां रहने वाले डेढ़ लाख लोगों के लिए नासूर बन गया है। सात साल में पांच बार प्लान बदला। दो बार कार्यदायी संस्थाएं बदल गईं। 18 करोड़ रुपये लागत बढ़ गई। फिर भी समस्या जस की तस है। नाला नहीं बनने से धनौली, अजीजपुर, सिरौली, नरीपुरा, कमाल खां, राधे गली, शिव नगर, नगला बुद्धा, लेखराज, नगला प्यारे में लोग गंदगी व जलभराव से त्रस्त हैं।
नाला निर्माण के लिए 31.48 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया
सबसे पहले 2015 में जल निगम की यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने नाला निर्माण के लिए 31.48 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया। जिसमें जलभराव से जूझ रहीं धनौली क्षेत्र की बस्तियों के पानी की निकासी रोहता नहर में करनी थी। इसके लिए नाले के रास्ते पानी को पहले रोहता नहर किनारे इकठ्ठा किया जाता फिर पंपिंग स्टेशन से पानी को नहर में डाला जाता। पंपिंग स्टेशन संचालन के कारण संस्था बदली और काम सीएंडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज) को आवंटित हो गया। सीएंडडीएस ने दोबारा सर्वे किया और पंपिंग स्टेशन की बजाय ग्रेविटी फ्लो से नाला निकासी की योजना बनाई।
तीसरी बार में लागत 49.58 करोड़ रुपये हुई
दो साल बाद 2017 में सीएंडडीएस ने 43.06 करोड़ का नया प्रस्ताव बनाया। 2018 तक धनराशि आवंटित नहीं हुई। फिर प्रस्ताव बदला और जीएसटी व अन्य देय लगाकर तीसरी बार में लागत 49.58 करोड़ रुपये हो गई। अप्रैल 2018 में शासन से 20 करोड़ रुपये जारी हो गए। योजना में 6349 मीटर ट्रंक आरसीसी एवं 6563 मीटर ब्रांच आरसीसी प्रस्तावित थी। जिसमें से 5200 मीटर ट्रंक आरसीसी निर्माण का दावा किया जा रहा है। बाकी नाला अभी तक नहीं बना। 2019 में चौथी बार फिर संशोधित प्रस्ताव में चार लाख रुपये की लागत बढ़कर 49.62 करोड़ रुपये हो गई। 2020 में पांचवीं बार फिर 22 लाख रुपये बढ़कर लागत 49.84 करोड़ रुपये हो चुकी है। बीते सात साल में 18 करोड़ रुपये लागत बढ़ने के बाद भी नाला अधूरा पड़ा है।
आरोप : 24 घंटे में मुकर गए अफसर
मंगलवार को कलक्ट्रेट में छह घंटे विरोध-प्रदर्शन हुआ था। बुधवार को डीएम से मुलाकात व लिखित समाधान कराने का एडीएम ने आश्वासन दिया था। बुधवार 11:30 बजे क्षेत्रीय कमेटी के दस लोग डीएम से मिलने कलक्ट्रेट पहुंचे। सावित्री चाहर ने बताया कि डीएम ने उनकी बात नहीं सुनी। स्वयं वार्ता करने की बजाय एडीएम सिटी के पास भेज दिया। एडीएम सिटी से मिले तो उन्होंने कहा, शासन को पैसा आवंटन के लिए पत्र भेज रहे हैं। उन्होंने समाधान के लिए लिखित में देने से इनकार कर दिया। चौ. प्रेम सिंह, कोमल सिंह, आचार्य आनंद, लोकेश कुमार ने आरोप लगाया कि 24 घंटे में ही अफसर अपनी बात से मुकर गए। उधर, सिरौली में 64वें दिन भी धरना जारी रहा। कमेटी सदस्यों ने बताया कि आंदोलन की आगे की रणनीति के लिए क्षेत्रीय जनता की बैठक बुलाई है।
समस्या का होगा निदान
नए एस्टिमेट की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति के लिए प्रमुख सचिव को पत्र भेजा है। शीघ्र शेष धनराशि आवंटित हो जाएगी। जलभराव की समस्या का निदान होगा। – अमित गुप्ता, कमिश्नर
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विस्तार
सरकारी सिस्टम की लापरवाही से धनौली में नाला वहां रहने वाले डेढ़ लाख लोगों के लिए नासूर बन गया है। सात साल में पांच बार प्लान बदला। दो बार कार्यदायी संस्थाएं बदल गईं। 18 करोड़ रुपये लागत बढ़ गई। फिर भी समस्या जस की तस है। नाला नहीं बनने से धनौली, अजीजपुर, सिरौली, नरीपुरा, कमाल खां, राधे गली, शिव नगर, नगला बुद्धा, लेखराज, नगला प्यारे में लोग गंदगी व जलभराव से त्रस्त हैं।
नाला निर्माण के लिए 31.48 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया
सबसे पहले 2015 में जल निगम की यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने नाला निर्माण के लिए 31.48 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया। जिसमें जलभराव से जूझ रहीं धनौली क्षेत्र की बस्तियों के पानी की निकासी रोहता नहर में करनी थी। इसके लिए नाले के रास्ते पानी को पहले रोहता नहर किनारे इकठ्ठा किया जाता फिर पंपिंग स्टेशन से पानी को नहर में डाला जाता। पंपिंग स्टेशन संचालन के कारण संस्था बदली और काम सीएंडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज) को आवंटित हो गया। सीएंडडीएस ने दोबारा सर्वे किया और पंपिंग स्टेशन की बजाय ग्रेविटी फ्लो से नाला निकासी की योजना बनाई।
तीसरी बार में लागत 49.58 करोड़ रुपये हुई
दो साल बाद 2017 में सीएंडडीएस ने 43.06 करोड़ का नया प्रस्ताव बनाया। 2018 तक धनराशि आवंटित नहीं हुई। फिर प्रस्ताव बदला और जीएसटी व अन्य देय लगाकर तीसरी बार में लागत 49.58 करोड़ रुपये हो गई। अप्रैल 2018 में शासन से 20 करोड़ रुपये जारी हो गए। योजना में 6349 मीटर ट्रंक आरसीसी एवं 6563 मीटर ब्रांच आरसीसी प्रस्तावित थी। जिसमें से 5200 मीटर ट्रंक आरसीसी निर्माण का दावा किया जा रहा है। बाकी नाला अभी तक नहीं बना। 2019 में चौथी बार फिर संशोधित प्रस्ताव में चार लाख रुपये की लागत बढ़कर 49.62 करोड़ रुपये हो गई। 2020 में पांचवीं बार फिर 22 लाख रुपये बढ़कर लागत 49.84 करोड़ रुपये हो चुकी है। बीते सात साल में 18 करोड़ रुपये लागत बढ़ने के बाद भी नाला अधूरा पड़ा है।