नई दिल्ली. 2021 पृथ्वी के मानव इतिहास के पांच सबसे गर्म सालों (Hottest year) में शामिल हो गया. सोमवार को कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के वैज्ञानिकों ने इसकी घोषणा की. वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए बताया है कि अगर वैश्विक तापमान में मानव निर्मित वृद्धि को नहीं रोका गया तो यह खतरनाक स्तर पर आ सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक लगातार बढ़ रहे तापमान के बावजूद विश्व द्वारा इसमें कमी नहीं लाया जाना चिंता का विषय है. वैज्ञानिकों ने कहा, ‘2021 में अमेरिका और यूरोप दोनों गर्मी बढ़ाने में योगदान देते रहे. इसके अलावा आर्कटिक के आसपास का तापमान भी बढ़ गया जिसके कारण ग्रीनलैंड में पहली बार बारिश भी हुई.’
औद्योगीकरण के समय से भी तेज वृद्धि
कॉपनिकसर क्लाइमेंट चेंज ने कहा, ‘पिछले साल धरती के औसत तापमान में 1.1 से 1.2 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि दर्ज की गई. जब दुनिया में औद्योगीकरण शुरू हुआ था तब भी तापमान में इतनी अधिक वृद्धि नहीं हुई थी. इसका मतलब है कि 2021 में इंसानों ने बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को हवा में छोड़ दिया.’ कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के वैज्ञानिक फ्रेजा वोमबोर्ग (Freja Vamborg) ने बताया कि अगर आप पिछले सात साल के वैश्विक तापमान को देखें तो साल दर साल इसमें वृद्धि ही नहीं हुई है, बल्कि सातों साल में वृद्धि की होड़ लगी है. कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस 1950 से धरती के तापमान को रिकॉर्ड करने में लगा हुआ है.
मीथेन गैस की मात्रा बढ़ना चिंता का विषय
धरती के तापमान में मौजूदा वृद्धि को देखते हुए वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर सहमति है कि ग्रीन हाउस गैसों में यह वृद्धि पृथ्वी को प्रभावित करेगी और इससे वैश्विक जलवायु में लंबे समय तक परिवर्तन देखा जाएगा. हालांकि कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के विश्लेषण से पता चला है कि पिछले कुछ सालों में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि की दर कम हुई है, लेकिन मीथेन गैस की मात्रा हवा में तेजी से बढ़ रही है. मीथेन गैस ग्रीनहाउस गैस का दूसरी सबसे बड़ी प्रचलित गैस है जिसकी मात्रा बढ़ रही है.
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