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नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत यातायात उल्लंघन की निगरानी के लिए पर्याप्त तकनीकी बुनियादी ढांचे की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार के अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 28 मार्च 2022 तय की है।
सोनाली करवासरा द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के कुशल कार्यान्वयन में कई खामियां हैं। इससे यातायात उल्लंघन का पता लगाने के लिए अधिकारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली पुरानी तकनीकों के कारण आम जनता पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
व्यक्तिगत रूप से पेश याचिकाकर्ता ने कहा वे अधिनियम को लागू किए जाने और इसके बारे में लाए गए परिवर्तनों के लिए तैयार हैं लेकिन अधिनियम के तहत भारी जुर्माना लगाया जाता है। इसलिए, तकनीक को उस स्तर तक अपग्रेड करने की आवश्यकता है। अन्यथा लोग ठगा हुआ महसूस करते हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया कि यातायात नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए बुनियादी ढांचा और देश में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का मानकीकरण नहीं किया गया। इसके कई उदाहरण सामने आए हैं। इनमें दोषपूर्ण उपकरण और तकनीक के कारण यातायात पुलिस द्वारा निर्दोषों पर भारी जुर्माना जारी किया गया।
याचिका के अनुसार स्पीड लिमिट के उल्लंघन का पता लगाने वाली तकनीक, नशे में गाड़ी चलाने वाली सांस विश्लेषण तकनीक और रेड-लाइट उल्लंघन तकनीक बदलते समय के अनुसार नहीं हैं। इसके बजाय यातायात के लिए अपग्रेड तकनीक की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता ने एक घटना का उल्लेख किया जिसमें एक बार लाल बत्ती जंप करने के लिए एक व्यक्ति चार बार चालान किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा यह गलत है कि एक कार पांच सेकंड के भीतर एक लाल बत्ती को चार बार पार कर सकती है।
हालांकि, इस चालान के लिए उक्त व्यक्ति के पास चालान का भुगतान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, क्योंकि इसे अदालत में चुनौती देने का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
इसके अलावा, यह तर्क दिया जाता है कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के कुशल कार्यान्वयन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यातायात उल्लंघनों की निगरानी में उपयोग की जाने वाली तकनीक के मानकीकरण और उचित दिशा-निर्देशों/नियमों को सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है।
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत यातायात उल्लंघन की निगरानी के लिए पर्याप्त तकनीकी बुनियादी ढांचे की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार के अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 28 मार्च 2022 तय की है।
सोनाली करवासरा द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के कुशल कार्यान्वयन में कई खामियां हैं। इससे यातायात उल्लंघन का पता लगाने के लिए अधिकारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली पुरानी तकनीकों के कारण आम जनता पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
व्यक्तिगत रूप से पेश याचिकाकर्ता ने कहा वे अधिनियम को लागू किए जाने और इसके बारे में लाए गए परिवर्तनों के लिए तैयार हैं लेकिन अधिनियम के तहत भारी जुर्माना लगाया जाता है। इसलिए, तकनीक को उस स्तर तक अपग्रेड करने की आवश्यकता है। अन्यथा लोग ठगा हुआ महसूस करते हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया कि यातायात नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए बुनियादी ढांचा और देश में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का मानकीकरण नहीं किया गया। इसके कई उदाहरण सामने आए हैं। इनमें दोषपूर्ण उपकरण और तकनीक के कारण यातायात पुलिस द्वारा निर्दोषों पर भारी जुर्माना जारी किया गया।
याचिका के अनुसार स्पीड लिमिट के उल्लंघन का पता लगाने वाली तकनीक, नशे में गाड़ी चलाने वाली सांस विश्लेषण तकनीक और रेड-लाइट उल्लंघन तकनीक बदलते समय के अनुसार नहीं हैं। इसके बजाय यातायात के लिए अपग्रेड तकनीक की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता ने एक घटना का उल्लेख किया जिसमें एक बार लाल बत्ती जंप करने के लिए एक व्यक्ति चार बार चालान किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा यह गलत है कि एक कार पांच सेकंड के भीतर एक लाल बत्ती को चार बार पार कर सकती है।
हालांकि, इस चालान के लिए उक्त व्यक्ति के पास चालान का भुगतान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, क्योंकि इसे अदालत में चुनौती देने का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
इसके अलावा, यह तर्क दिया जाता है कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के कुशल कार्यान्वयन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यातायात उल्लंघनों की निगरानी में उपयोग की जाने वाली तकनीक के मानकीकरण और उचित दिशा-निर्देशों/नियमों को सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है।