हरिद्वार. उत्तराखंड की भगवानपुर विधानसभा सीट (Bhagwanpur Assembly Constituency) के चुनावी मैदान में देवर और भाभी आमने-सामने होंगे. भाभी ममता राकेश को जहां कांग्रेस ने टिकट दिया है, वहीं देवर सुबोध राकेश बसपा की हाथी पर सवार होकर चुनौती पेश कर रहे हैं. दोनों पिछली बार भी आमने-सामने थे. ममता राकेश कांग्रेस से ही चुनावी मैदान में थीं, जबकि सुबोध भाजपा के टिकट से उतरे थे. तब देवर सुबोध पर भाभी ममता भारी पड़ी थीं. इस बार सुबोध पाला बदलकर बसपा में पहुंच गए हैं और भाभी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. दरअसल, हरिद्वार की इस सुरक्षित सीट पर दलित आबादी निर्णायक स्थिति में है. यहां की राजनीति में राकेश परिवार का दबदबा रहा है.
उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और राकेश परिवार के मुखिया सुरेंद्र राकेश का इस सीट पर दबदबा था. बसपा में रहते हुए उन्होंने 2007 और 2012 में जीत दर्ज की थी. बीमारी के चलते उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी थीं और जीत दर्ज की थी. बाद में परिवार में उत्तराधिकार की लड़ाई छिड़ गई. सुरेंद्र राकेश के छोटे भाई सुबोध राकेश ने बगावत कर दी. 2017 में भाजपा के टिकट पर वह भाभी के खिलाफ चुनावी मैदान में कूद पड़े थे. तब ममता उन पर भारी पड़ी थीं. उन्होंने 2513 वोटों से वह देवर सुबोध को हराया था. ममता राकेश को 44882 वोट मिले थे, जबकि सुबोध राकेश ने 42369 मत प्राप्त किया था.
सियासी उत्तराधिकार की है लड़ाई
सुबोध अब बसपा का दामन थाम चुके हैं. बसपा उन्हें भगवानपुर विधानसभा सीट से टिकट भी दे चुकी है. उनका कहना है कि भाई सुरेंद्र राकेश के असली उत्तराधिकारी वही हैं. भाई ने बसपा में रहते हुए विकास का एक सपना देखा था. अब उनके सपने को वह पूरा करेंगे. कांग्रेस ने भी जनता के बीच पिछले चुनाव में सुरेंद्र राकेश के उत्तराधिकार की लड़ाई जीत चुकीं उनकी पत्नी ममता राकेश पर ही भरोसा जताया है. देखना होगा कि भगवानपुर का मतदाता इस बार दोनों में से किसे कमान सौंपता है. इस सीट पर कांग्रेस, बसपा और भाजपा के बीच त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिलती है.
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