पटना. बिहार में इन दिनों जिस मुद्दे को लेकर सबसे अधिक चर्चा होती है वो है शराबबंदी (Bihar Liquor Ban). लेकिन क्या आपको पता है कि इसी कानून के कारण बिहार के एक मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. बिहार आज उसी पूर्व सीएम का जन्मदिवस मना रहा है जिसे ना सिर्फ गरीबों का मसीहा कहा जाता है बल्कि उनकी सादगी और लोगों के लिए गए दूरदर्शी फैसलों पर आज भी चलने की शपथ ली जाती है. आज कर्पूरी ठाकुर (Former CM Karpuri Thakur) का जन्मदिवस है और हर दल और नेता आज उनके बातों और फैसलों को याद कर रहा है.
कर्पूरी ठाकुर ने लोगों के कई ऐसे बड़े फैसले लिए जिसने मुख्य धारा से कटे हुए समाज को जुड़ने का मौका मिला साथ ही समाज को सुधारने का बड़ा प्रयोग हुआ. वैसे तो कर्पूरी ठाकुर के कई बड़े फैसले है पर वर्तमान संदर्भो में जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है वो है शराबबंदी का फैसला. बिहार में सबसे पहले कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर तहलका मचा दिया था. बिहार में गरीब शराब के नशे से जिस कदर बर्बाद हो रहे थे उसे देखते हुए कर्पूरी ठाकुर ने एतिहासिक फैसला लिया और बिहार में शराब की बिक्री बंद कर दी गई, पर यह कर्पूरी ठाकुर को भी नहीं पता था कि दो सालों में ही उनकी सरकार गिर जाएगी और शराबबंदी कानून खत्म कर दिया जाएगा.
जानें कैसे शराबबन्दी कानून को किया गया था खत्म
कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने पर दोनों बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. अतिपिछड़ा समाज से आने वाले कर्पूरी ठाकुर जब दूसरी बार जून 1977 में मुख्यमंत्री बने तो बिहार में शराबबन्दी जैसा साहसिक फैसला लिया और बिहार में शराबबंदी लागू की गई. जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले सरकार में जनसंघ/बीजेपी भी शामिल थी. कर्पूरी ठाकुर ने जब शराबबन्दी का फैसला लिया तो शराब के व्यापार में शामिल लोगों के होश उड़ गए. शराब के व्यापार में शामिल दबंगो और माफियाओं को अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक संरक्षण की भी बात कही जाती रही है.
शराबबंदी के फैसले के बाद बिहार में अवैध शराब का व्यापार बढ़ने लगा और शराब का वो गैरकानूनी व्यापार शुरू हुआ जिसे सोचा नहीं जा सकता था. बाद में वैसे दबंग लोग जिसकी कमर इस फैसले से टूटी थी उसने दबाब बनाना शुरू किया. इसी राजनीतिक उठापटक के बीच लगभग ढाई साल में ही 21 अप्रैल 1979 को इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद राम सुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बनाये गए. जैसे ही फिर नई सरकार आई शरबाबन्दी कानून को खत्म कर दिया गया और बिहार में एकबार फिर से शराब की बिक्री शुरू हो गई.
नीतीश कुमार ने भी शराबबन्दी को लेकर कर्पूरी की बात याद कराया
बिहार में नीतीश कुमार के शराबबन्दी के बड़े फैसले को लेकर एकबार फिर बिहार में सियासत गर्म है. आज विपक्ष के साथ सरकार के सहयोगी भी शराबबंदी पर सवाल खड़े कर रहे हैं और समीक्षा की बात कर रहे. दिसम्बर 2021 में मुज़्ज़फरपुर में अपनी सभा के दौरान नीतीश कुमार ने मंच से कहा था कि कर्पूरी ठाकुर ने भी शराबबंदी लागू किया था और ढाई साल में ही हटना पड़ा था, इसलिए इस फैसले को लागू करने से डर लगता था. लेकिन, शराब को लेकर जब महिलाओ ने खुलकर बातें रखी और लोगों का समर्थन मिला तो फिर पलट कर नहीं देखा और मजबूती से फैसला लिया. आज जहरीली शराब से कई जिलो में हुई मौत के बाद सहयोगी बीजेपी सवाल खड़े कर रही है और समीक्षा की बात कह रही है. आज भले ही शराबबन्दी कानून पर राजनीतिक सवाल खड़े किए जा रहे हो पर नीतीश कुमार अपने मजबूत इरादों के साथ अपने फैसले पर कायम है.
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