नई दिल्ली. आरबीआई के पूर्व गवर्नर (Former RBI Governor) रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने मजबूत आर्थिक विकास के लिए बजट 2022 से पहले सरकार को सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में चमकीले स्थानों (Bright spot) के साथ कुछ काले धब्बे (Dark Spot) भी हैं. महामारी से उबर रही अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार (Strong Recovery) के लिए इन कमजोरियों को दूर करना होगा. अपने विचारों को स्पष्ट तरीके से रखने वाले राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि इन कमजोरियों को देखते हुए सरकार को सावधानी से खर्च करने पर ध्यान देना चाहिए. इससे राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सकता है.
फिलहाल शिकॉगो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में हमेशा चमकदार स्थानों के साथ गहरे काले धब्बे होते हैं. अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र (SME) और हमारे बच्चों को लेकर है. ये सारी चीजें दबी मांग से शुरुआती पुनरुद्धार के बाद ‘खेल’ में आएंगी. उधर, चमकदार क्षेत्रों में हेल्थ सेक्टर की कंपनियां (Health Sector Companies) आती हैं. आईटी (IT) और इससे जुड़े सेक्टर शानदार कारोबार कर रहे हैं. कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक वैल्यूएशन) बने हैं. वित्तीय क्षेत्र के कुछ हिस्से भी मजबूत हैं.
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ये कमजोरियां जिन पर ध्यान देना जरूरी…
- एसएमई और बेरोजगारी : राजन ने कहा कि काले धब्बों की बात की जाए तो बेरोजगाारी (Unemployment) सबसे बड़ी समस्या है, जो लगातार बढ़ती जा रही है. इसके अलावा, निम्न-मध्य वर्ग की खर्च करने की क्षमता में कमी और छोटी एवं मझोले आकार की कंपनियों पर वित्तीय दबाव से मांग पर असर पड़ रहा है. इससे उपभोक्ता मांग भी प्रभावित हुई है. इन धब्बों में बच्चों की पढ़ाई भी शामिल है.
- कर्ज की सुस्त वृद्धि : लोगों के खर्च करने की क्षमता में गिरावट, एसएमई पर वित्तीय दबाव बढ़ने और उपभोक्ता मांग घटने से कर्ज की मांग में कमी आई है. सरकार को मजबूत आर्थिक विकास के लिए कर्ज की मांग में तेजी लाने पर विचार करना चाहिए.
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- K-आकार में सुधार रोकना : राजन ने कहा कि ओमिक्रॉन हेल्थ और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका है. उन्होंने K-आकार के सुधार के प्रति सरकार को आगाह करते हुए कहा कि इस आकार में अर्थव्यवस्था के सुधार को रोकने के लिए और उपाय करने की जरूरत है. सामान्य तौर पर K-आकार के सुधार में आईटी और बड़ी पूंजीगत कंपनियों की स्थिति महामारी से अधिक प्रभावित छोटे व्यवसायों और उद्योगों की तुलना में तेजी से सुधरती है.
- 10 साल की सोच जरूरी : चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 9 फीसदी रहने का अनुमान है. बजट से पहले पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बजट दस्तावेज एक ‘दृष्टिकोण’ होता है. मैं भारत के लिए पांच या 10 साल का दृष्टिकोण या सोच देखना चाहता हूं.
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- जहां जरूरत हो, वहीं खर्च जरूरी : राजन ने कहा कि महामारी आने तक भी भारत की राजकोषीय स्थिति अच्छी नहीं थी. यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं. जहां जरूरत है, वहां सरकार खर्च करे. लेकिन, हमें खर्च सावधानी से करने की जरूरत है ताकि राजकोषीय घाटा बहुत ऊंचाई पर नहीं पहुंच जाए.
- महंगाई : महंगाई पर कहा कि आज दुनिया के सभी देशों के लिए महंगाई चिंता का विषय है. भारत इसका अपवाद नहीं हो सकता.
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