अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sun, 23 Jan 2022 02:05 AM IST
सार
हाईकोर्ट ने इससे पहले मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था। बैंक के प्रबंध निदेशक ने 2012 से लेकर 2017 के बीच नियुक्त हुए कर्मचारियों की पदोन्नति सहित स्थायीकरण से जुड़े सभी लाभों को देने पर रोक लगा दी थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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विस्तार
हाईकोर्ट ने इससे पहले मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था। बैंक के प्रबंध निदेशक ने 2012 से लेकर 2017 के बीच नियुक्त हुए कर्मचारियों की पदोन्नति सहित स्थायीकरण से जुड़े सभी लाभों को देने पर रोक लगा दी थी। इस संबंध में प्रबंध निदेशक ने 31 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि 2012 से लेकर 2017 के बीच हुई भर्तियों के मामले में जांच चल रही है।
लिहाजा जांच पूरी होने तक कोई लाभ नहीं दिए जाएंगे। कर्मचारियों ने इस पर आपत्ति जताई और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही है। इसी मामले में लखनऊ खंडपीठ में भी सुनवाई चल रही है। याची की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार ओझा ने पक्ष रखा।
मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि उसके आदेश के बावजूद कर्मचारियों की वेतन वृद्धि क्यों रोकी जा रही है। जवाब में सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि बैंक ने प्रस्ताव पास कर सभी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि किए जाने का आदेश पारित कर दिया है।
याची के अधिवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 2012 से 2017 के मध्य सहकारिता विभाग में नियुक्तियों की एसआईटी जांच करायी जा रही है, जिसकी वजह से बैंक की ओर से इस अवधि के मध्य नियुक्त कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोकी गई है।