चंद्रभान यादव, लखनऊ
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 21 Jan 2022 05:46 AM IST
सार
सपा नेताओं की सियासी पैंतरेबाजी। विरोधियों के आरोपों से बचने के लिए अपनाई नई रणनीति।
सपा प्रत्याशी रूपाली दीक्षित
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सपा की रणनीति है कि दबंग व आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट देने से परहेज किया जाएगा। कैराना से विधायक नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद अखिलेश को सफाई देनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि नाहिद के परिवार में जिस पर कोई केस नहीं होगा, उसे मैदान में उतारेंगे। ऐसे में नाहिद की बहन इकरा हसन को मैदान में उतारा गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाद लंदन से पढ़ाई कर लौटी इकरा कैराना में प्रचार में लगी हैं।
अखिलेश इस बार दबंग व आपराधिक छवि के उम्मीदवारों के मुद्दे पर विरोधियों का निशाना नहीं बनना चाहते हैं। इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी अवगत करा दिया गया है। इसी के चलते पार्टी से जुड़े दबंग खुद को पर्दे के पीछे रखकर अपने बेटे या बेटी के लिए पैरवी में जुट गए हैं।
कुछ को मिली सफलता, कुछ लाइन में
इस रणनीति के तहत कुछ दबंगों ने सफलता हासिल कर ली है। आगरा के फतेहाबाद से अशोक दीक्षित की बेटी रुपाली दीक्षित सपा से टिकट पाने में कामयाब रही हैं। मुख्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी भी सपा में शामिल हो चुके हैं। बसपा विधायक मुख्तार अंसारी व उनके बेटे अब्बास अंसारी ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं, विवादों से बचने के लिए सिबगतुल्लाह के बेटे मन्नू अंसारी को मैदान में उतारने की पैरवी तेज हो गई है। फर्रुखाबाद सदर से तीन बार विधायक रहे विजय सिंह जेल में हैं। वह जेल से ही भतीजे करन सिंह की पैरवी कर रहे हैं।